अंक 37 | वर्ष 10 | दिसंबर 2017 |
उत्तर आधुनिक चोरी
- डॉ. रवीन्द्र समीर
सबेरे जब वह जगे तो पुस्तकालय का ताला टुकड़ों में बिखरा पड़ा था। घर में चोर घुस आया था, इसमें कोई द्विविधा नहीं थी। लैपटॉप, कैमेरा, पैसे, गहने, कपड़े सभी यथास्थान में थे। उन्होंने घर बाहर भीतर सब जगह देखा। किसी भी चीज की चोरी नहीं हुई थी।
वह खुस हुए, आश्चर्यचकित भी। ऐसा कैसे हुआ ?
पेशे से वह नामी कम्प्युटर इंजिनियर थे।
उस दिन अंतिम तिथि होने के कारण वह जल्दीजल्दी सम्मेलन केंद्र गए।
उन्होंने टैंडर भरने के बाद लैपटॉप खोलकर पैन ड्राइभ घुसाया। वे पसीने से भीगने लगे थे। घबरा गए। लगा खाइ में गिर गए हैं। तुरंत घर लौट गए। दूसरा लैपटॉप ऑन किया। उनके होंठ मुँह सब सुख गए।
वर्षों के परिश्रम से तैयार किए गए करोडों रूपए के सॉफ्टवेयर, जो बिक्री के लिए तय थे, चोर कॉपी करके ले गया था और लैपटॉप को फॉर्मैट कर छोड़ गया था।
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नेपाली से अनुवादः कुमुद
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