अंक 33 | वर्ष 7 | अक्तूबर 2014 |
धर्म की शक्ति
- श्रीओम श्रेष्ठ रोदन
एक सुन्दर गाँव था जिस में सभी धर्म के लोग रहते थे। अचानक उस गाँव में भूकम्प आया। जगह जगह के मकान ढह गए और कितने ही लोग मलवे में दबकर मर गए। वे लोग जिनके मकान सही सलामत थे और जो जिंदा बचेथे घटनास्थल पहुँच गए और मृतकों के परिवारजन को तसल्ली और सान्त्वना देने लगे।
भूकम्प का विनाश पत्रिकाओं, रेडियो और टी.वी. में प्रमुख समाचार बन गया। चूँकी गाँव में सभी धर्म के लोग रहते थे, अनेक धार्मिक संघ-संस्थाओं के पदाधिकारी वहाँ निरीक्षण करने के लिए पधारे।
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हिन्दू आए और ज्यादातर मौतें ईसाइयों की हुई ठानकर "दैवी प्रकोपको कौन टाल सकता है" कहते हुए चले गए।
मुसलमान आए और ज्यादा हिन्दूओं को मरा ठान "अल्लाह की मर्जी" कहते हुए चले गए।
ईसाइ आए और बौद्धमार्गियों की मौत ज्यादा हुई ठानकर "प्रभु को धन्यवाद" कहते हुए चले गए।
बौद्धमार्गी आए और मुसलमानों की मौत ज्यादा देखकर "बुद्ध को प्रणाम" कहते हुए चले गए।
-- उसी गाँव के बिजली के खम्भे में एक कौवा करेंट लगने से मर गया था। उस मरे हुए कौवे के आसपास कौवों की भीड़ जमा हो गई।
-- मनुष्यों की संख्या घट रही थी क्योंकि उनके पास धर्म था। धर्म की शक्ति थी।
-- कौवों की संख्या बड़ रही थी क्योंकि कौवे किसी धर्म के नहीं थे।
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नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी
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