अंक 33वर्ष 7अक्तूबर 2014

हर सुबह

                             - सुमन पोखरेल

हर सुबह

खून से रंगे खबरों के साथ जागता हूँ

और सशंकित हो टटोलता हूँ खुद को

गर मैं खुद तो हूँ !

 

मैं आभारी हूँ

अपने एकमात्र संरक्षक का

"धन्य ईश्वर !

कल मरनेवालों और मारेजानेवालों की फेहरिस्त में

अपना नाम नहीं है।"

--

 

जिंदगी

 

जिंदगी अगर कोरा कागज होती

ध्यान लगा जी भर लिखता।

जिंदगी अगर लिखी हुई पाती होती

मन लगा जी भर पढता।

 

यह जिंदगी

लिपेपुते अक्षरों से भरी हुई

कागज की एक टुकड़ी बन गई,

न जिस में लिखा जा सकता है,

न जिस को पढ़ा जा सकता है।

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 मूल नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी

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टिप्पणियाँ

vinod singh
zindgi me jindgi ki jhalak nazar aai


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